मंत्री

किरेन रिजिजू ने कहा कि प्रस्तावित वक्फ कानून के प्रावधान वर्षों से कई जांच रिपोर्टों और लाखों हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श पर आधारित हैं।

नई दिल्ली: अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने आज लोकसभा में कहा कि देश में मुट्ठी भर लोगों ने वक्फ बोर्डों पर कब्जा कर लिया और आम मुसलमानों को न्याय नहीं मिला, उन्होंने आज पेश किए गए वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया।

श्री रिजिजू ने कहा कि प्रस्तावित कानून के प्रावधान वर्षों से कई जांच रिपोर्टों और लाखों हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श पर आधारित हैं।

अपने तर्कों को पुष्ट करने के लिए उन्होंने वक्फ निकायों द्वारा अतिक्रमण और अवैधता के कई उदाहरणों का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “तिरुचिरापल्ली जिला तमिलनाडु में है। वहां 1,500 साल पुराना सुंदरेश्वर मंदिर है। वहां एक व्यक्ति अपनी संपत्ति बेचने गया और उसे बताया गया कि उसका गांव वक्फ की संपत्ति है।

जरा सोचिए, पूरा गांव वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया गया है। यहां धर्म मत देखिए।” मंत्री ने सूरत नगर निगम का उदाहरण भी दिया। “सूरत नगर निगम मुख्यालय को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया गया। क्या आप कल्पना कर सकते हैं? ऐसा कैसे हो सकता है?” उन्होंने सवाल किया, “मैं बौद्ध हूं, हिंदू या मुसलमान नहीं, लेकिन मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। इसे धार्मिक मुद्दे के रूप में मत देखिए। क्या नगर निगम एक निजी संपत्ति है?

नगर निगम की संपत्ति को वक्फ की संपत्ति कैसे घोषित किया जा सकता है।” मंत्री ने 1976 की जांच रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें वक्फ बोर्डों को अनुशासित करने के लिए कदम उठाने की सिफारिश की गई थी। उन्होंने वक्फ बोर्डों में अधिक प्रतिनिधित्व के लिए सच्चर समिति की सिफारिशों का हवाला दिया। उन्होंने विपक्ष की बेंचों से कहा, “आपको खुश होना चाहिए, आपने यह समिति बनाई है।” प्रस्तावित कानून में मुसलमानों में शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी और अन्य पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान करते हुए उन्होंने कहा, “अगर एक समुदाय छोटे समुदायों को कुचल रहा है, तो यह संसद इसकी अनुमति कैसे दे सकती है?” श्री रिजिजू ने कहा कि विपक्ष इन निकायों में लोगों के एक छोटे वर्ग को सत्ता पर काबिज करने के लिए प्रयासरत है और मुसलमानों के भीतर वक्फ अधिकारियों के प्रति व्यापक असंतोष है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि विधेयक में प्रावधान धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं करते हैं या किसी भी तरह से संविधान का उल्लंघन नहीं करते हैं। केंद्र ने जांच के लिए कानून को संयुक्त संसदीय समिति को भेजने पर सहमति जताई है। श्री रिजिजू ने दावा किया कि विपक्ष के कई नेताओं ने उन्हें निजी तौर पर बताया था कि राज्य वक्फ बोर्ड माफिया बन गए हैं। उन्होंने कहा, “मैं उनका नाम नहीं लूंगा और उनके राजनीतिक करियर को बर्बाद नहीं करूंगा।”

इससे पहले विपक्ष ने वक्फ (संशोधन) विधेयक में प्रस्तावित बदलावों को लेकर केंद्र पर निशाना साधा। कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल ने प्रस्तावित कानून को “कठोर” करार दिया और कहा कि यह धर्म की स्वतंत्रता और संघीय व्यवस्था पर हमला है। उन्होंने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति के प्रावधान का भी विरोध किया।

दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी ने भी विधेयक का विरोध किया। पार्टी प्रमुख और सांसद अखिलेश यादव ने कहा, “समुदाय से बाहर का कोई भी व्यक्ति अन्य धार्मिक निकायों का हिस्सा नहीं है। वक्फ निकायों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का क्या मतलब है?”

विधेयक का बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री और भाजपा की सहयोगी जेडीयू के नेता राजीव रंजन सिंह ने कहा कि वक्फ बोर्डों के कामकाज को पारदर्शी बनाने के लिए विधेयक लाया गया है। विपक्ष के इस आरोप का जवाब देते हुए कि विधेयक अल्पसंख्यकों के खिलाफ है, उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों का जिक्र किया। उन्होंने पूछा, “हजारों सिखों को किसने मारा?”

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