देवशयनी एकादशी

देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई दिन बुधवार को है। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार माह के लिए पाताल लोक में शयन करेंगे। इन चार महीनों में मांगलिक कार्य विवाह, मुंडन संस्कार जैसे शुभ कार्य वर्जित रहते हैं।

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि बुधवार को देवशयनी एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। देवशयनी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत योग और शुक्ल का शुभ योग बन रहा है। देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार माह के लिए पाताल लोक में शयन करेंगे। यह चार महीने चातुर्मास के नाम से जाने जाते है। इन चार महीनों में मांगलिक कार्य विवाह, मुंडन संस्कार जैसे शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। चातुर्मास में भगवान की भक्ति, व्रत, साधना, आराधना और जप-तप करने का विधान है।

राधा-कृष्ण मंदिर के पुजारी पंडित उमेश नौटियाल ने बताया कि देवशयनी एकादशी तिथि मंगलवार रात 8:34 बजे शुरू होगी। बुधवार रात 9:03 बजे तक एकादशी तिथि रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार देवशयनी एकादशी व्रत बुधवार को रखा जाएगा। देवशयनी एकादशी व्रत का पारण वीरवार को सुबह 5:32 से 8:17 बजे तक कर सकते हैं। बताया कि इस बार देवशयनी एकादशी पर अनुराधा नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, शुभ योग और शुक्ल योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं।

यह शुभ योग बुधवार को सुबह 7:04 बजे तक रहेगा। इसके साथ ही सुबह 5:55 बजे से से सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग भी शुरू होंगे जो पूरे दिन रहेंगे। बताया कि चातुर्मास व्रत 17 जुलाई देवशयनी एकादशी व्रत से शुरू होकर 12 नवंबर हरिप्रबोधिनी एकादशी व्रत के साथ समाप्त होगें। इसके बाद भगवान विष्णु पाताल से लौटेंगे और मांगलिक कार्य शुरू होंगे।

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