सीबीएफसी ने कोर्ट को बताया कि वह किसी भी फिल्म को प्रमाणपत्र जारी करने से पहले सभी पहलुओं को ध्यान में रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि किसी धार्मिक या किसी अन्य समूह की भावनाओं को ठेस न पहुंचे
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शनिवार को फिल्म ‘इमरजेंसी’ के स्क्रीनिंग प्रमाणपत्र को रद्द करने की मांग वाली याचिका का निपटारा कर दिया, क्योंकि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने हाईकोर्ट को बताया कि फिल्म को अभी तक सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए मंजूरी नहीं दी गई है।
सीबीएफसी की ओर से पेश हुए भारत के अतिरिक्त महाधिवक्ता सत्य पाल जैन ने कोर्ट को बताया, “फिल्म के प्रमाणन पर विचार किया जा रहा है। अभी तक इसे मंजूरी नहीं दी गई है। इसे इस मामले में लागू नियमों और विनियमों के अनुसार मंजूरी दी जाएगी। अगर किसी को कोई शिकायत है, तो उसे बोर्ड को भेजा जा सकता है।”
जैन ने जोर देकर कहा कि सीबीएफसी किसी भी फिल्म को प्रमाणपत्र जारी करने से पहले सभी पहलुओं को ध्यान में रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि किसी धार्मिक या किसी अन्य समूह की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
अभिनेत्री-राजनेता कंगना रनौत की आगामी राजनीतिक ड्रामा फिल्म “इमरजेंसी” अपने संवेदनशील विषय के कारण विवादों में घिर गई है, यहां तक कि शिरोमणि अकाली दल ने सिख समुदाय के “गलत चित्रण” के लिए इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। मोहाली निवासी गुरिंदर सिंह और जगमोहन सिंह, जो दोनों ही सिख और सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करते हैं, द्वारा दायर याचिका में मांग की गई थी कि फिल्म को सीबीएफसी द्वारा दिया गया प्रमाण पत्र रद्द किया जाए और इसे रिलीज करने की अनुमति देने से पहले प्रतिष्ठित सिख हस्तियों द्वारा समीक्षा करने की अनुमति दी जाए। याचिका में वैकल्पिक प्रार्थना यह थी कि सीबीएफसी ने कथित तौर पर “झूठे और गलत तथ्यों के प्रक्षेपण के माध्यम से सिख समुदाय को लक्षित करने वाले” दृश्यों को हटा दिया था। याचिका में सिख समुदाय को कथित रूप से कलंकित करने के लिए फिल्म के निर्माताओं के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने की भी मांग की गई थी। 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान की उथल-पुथल भरी कहानी पर आधारित यह फिल्म 6 सितंबर को रिलीज होने वाली है।
सीबीएफसी के बयान के मद्देनजर, मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल की उच्च न्यायालय की पीठ ने याचिका का निपटारा कर दिया। कार्यवाही के विस्तृत आदेश का इंतजार है।