“लेटरल एंट्री तो इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय में भी थी। यहां तक कि मनमोहन सिंह को भी लेटरल एंट्री के जरिए ही शामिल किया गया था। 1976 में वे वित्त सचिव कैसे बन गए?” श्री मेघवाल ने एनडीटीवी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में बताया।
नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लेटरल एंट्री पर विपक्ष की आपत्तियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के समय में भी मौजूद थी। और उन्होंने यूपीए के दो बार प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के बारे में भी अपनी बात रखी।
“उन्होंने जिसे चाहा, उसे भर्ती कर लिया। उनके (कांग्रेस) पास इस बारे में कहने के लिए कभी कुछ नहीं था। यह तो इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय में भी थी। यहां तक कि मनमोहन सिंह को भी लेटरल एंट्री के जरिए ही शामिल किया गया था। 1976 में वे वित्त सचिव कैसे बन गए?” श्री मेघवाल ने एनडीटीवी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में बताया।
यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) में भर्ती के लिए विज्ञापन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। विपक्ष और एनडीए के सहयोगी दलों के एकमत होने के बाद सरकार ने आयोग से कल अपना विज्ञापन वापस लेने का अनुरोध किया। यूपीएससी प्रमुख को लिखे अपने पत्र में केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि “इस कदम को सामाजिक न्याय के साथ जोड़ा जाना चाहिए।” विपक्ष ने सरकार के यू-टर्न और “पीडीए एकता के सामने हार” को क्या कहा, इस पर स्पष्टीकरण देते हुए श्री मेघवाल ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति के भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी।
श्री मेघवाल ने एनडीटीवी से कहा, “हमारे अनुसूचित जाति और जनजाति के नेताओं ने 9 अगस्त की सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने गलत सूचना फैलाकर भ्रम पैदा किया है। इसे सुलझाया जाना चाहिए। इसलिए कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें इसे सुलझाया गया।” उन्होंने कहा कि कहा गया कि क्रीमी लेयर फैसले का हिस्सा नहीं है। वैसे भी अनुसूचित जाति और जनजाति में क्रीमी लेयर का अस्तित्व नहीं है।